फैशन उद्योग भारत में आज से नहीं बल्कि सिंधु सभ्यता से अपनी एक प्रतिष्ठा स्थापित किए हुए हैं। वहीं परिधान, खान, पान किसी संस्कृति का निर्माण के वाहक होते हैं।
आज वर्तमान समय में बात करे तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 2.3 फीसदी का योगदान यह क्षेत्र करता है। वहीं औद्योगिक उत्पादन में 7 फीसदी का योगदान है। भारतीय निर्यात में इसकी 12 फीसदी की हिस्सेदारी है तथा कुल रोजगार में 21 फीसदी से अधिक का योगदान है।
हाल में आई एक रिपोर्ट जिसमे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के डीन और स्टूडेंट के बीच वार्ता के दौरान बताया गया कि एक औसत भारतीय अपने कुल खर्च का 6 फीसदी परिधान के ऊपर खर्च करता है।
फैशन उद्योग लगभग 4 करोड़ लोगो को प्रत्यक्ष रोजगार देता है। वहीं बात करे तो भारतीय कपड़ा उद्योग जो 223 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार है। भारत दुनिया में कपड़ो का दुसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। पांच साल के अंदर भारतीय फैशन उद्योग में करीब 100 अरब अमेरिकी डालर की वृद्धि हुई है।
बदलते तकनीकी के दौर में आज जहां तकनीकि आपके द्वार में खड़ी है तब यह रिपोर्ट यह बताती है कि ऑनलाइन सेगमेंट में अगले 5 सालों में 20 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।
भारत सरकार ने इस उद्योग को और मजबूत बनाने के लिए इस क्षेत्र में थोड़ा उदारीकरण किया है। ऑटोमेटिक रूट के तहत सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। वही मल्टी ब्रांड रिटेल में 51फीसदी एफडीआई की अनुमति है। भारतीय फैशन उद्योग लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का है। भारतीय कपड़ा उद्योग में बीते 5 वर्षो में विदेशी निवेश बड़ा है। भारतीय वस्त्र उद्योग का केवल 10 फीसदी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है जोकि काफी बड़ी विडंबना है।
भारत का फैशन उद्योग आज विश्व के अन्य देशों में अपनी अलग छाप छोड़ रहा है लेकिन भारत में विदेशी कपड़ो का काफी क्रेज है और भारत में विदेशी कपड़ो का लगभग 400 फीसदी प्रॉफिट मार्जिन होता है। आज भारत में कैलविन और जारा के कपड़े धूम मचा रहे है। युवा वर्ग के बीच विदेशी ब्रांड के कपड़े लेने का काफी क्रेज है।
भारत सरकार अपने पुरानी संस्कृति को प्रसार करने के लिए कई योजना को क्रियान्वयन कर रही है। आज खादी विश्व में भारत का ब्रांड बन गया है। लोगों के बीच जगरुपकता बढ़ रही है।लोग सही और अच्छे कपड़े पहनना चाहते हैं और भारत बहुत बड़ी मार्केट है। आने वाले समय में भारतीय अपने कुल खर्च का 6 फीसदी से अधिक का भी खर्च करेगे लोगों की आय बढ़ रही है।
भारत में पूर्वोत्तर के परिधान दक्षिण के वस्त्र उत्तर की कला को यदि सही तरीके से ब्रांडिंग और पैकेजिंग की गई तो आने वाले समय में भारत के परिधान विश्व में धूम मचाएंगे। अभी कुछ समस्या अवश्य है लेकिन सरकार द्वारा टेक्सटाइल पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। जिससे बेहतर परिधानों का निर्माण हो सके। इस क्षेत्र में और रिसर्च और डेवलपमेंट की जरूरत है जोकि हमें कांस फेस्टिवल में भी दिखलाई पड़ता है।
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