संगरीला डायलॉग ( ईस्ट टू वेस्ट)

हाल ही में हुआ संगरीला डायलॉग जो 10जून से 12जून के बीच सिंगापुर में संपन्न हुआ।इसमें विश्व के अनेक देशों के प्रतिनिधि मण्डल ने शिरकत किया। संगरीला डायलॉग को लंदन स्थित एक थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजिक स्टडीज द्वारा अयोजित किया जाता है।

संगरीला डायलॉग को 2002 से अयोजित किया जाता रहा हैं।इसका नाम संगरीला इसलिए पड़ा की सिंगापुर में एक होटल है। जिसका नाम संगरीला है। इस सम्मेलन में चीन ,जापान ,साउथ कोरिया,नेपाल आदि देशों के बड़े बड़े नेताओं ने शिरकत किया था। इस सम्मेलन में 1:MYANMAR: FINDING A WAY

2:FORWARD,MARITIME SECURITY: FROM CODES OFCONDUCT TO CRISIS COMMUNICATION

3,CLIMATE SECURITY AND GREEN DEFENCE

4:COMMON CHALLENGES FOR ASIA-PACIFIC AND EUROPEAN DEFENCE जैसे टॉपिक में डिस्कशन किया गया वही भारत के हित से संबंधित कुछ बाते की गई।

तीन दिन के डायलॉग में एक दिन का टॉपिक(NEXT STEPS FOR THE UNITED STATES’ INDO-PACIFIC STRATEGY)। जिसमे अमेरिका के डिफेंस मंत्री लायड ऑस्टिन के द्वारा अमेरिकी सरकार का पक्ष रखा गया।

उन्होने इंडो पैसिफिक के बारे में कहा की इस क्षेत्र के अंतर्गत 38देश आते है।जो की विश्व की कुल आबादी का 65फीसदी है।वही विश्व की सतह क्षेत्र का लगभग 45फीसदी इस क्षेत्र में आता हैं तथा विश्व की जीडीपी का 62फीसदी इन देशों के पास है।वही विश्व के माल व्यापार का 46फीसदी इसी क्षेत्र में संपन्न होता है तो इस कारण यह क्षेत्र काफी महत्त्वपूर्ण साबित होता है।

उन्होंने इस बात का जोर देते हुए कहा कि क्वाड एशियन नाटो नही है।हम इंडो पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा , शांति,एक बेहतर ग्लोबल ऑर्डर का निर्माण करना चाहते है। जिसके लिए हमारी सरकार तत्पर है। जिससे इस क्षेत्र में शांति व्यवस्था स्थापित हो सके।

वही संगरीला डायलॉग में चीन के प्रतिनिधि ने (CHINA’S VISION FOR REGIONAL ORDER) टॉपिक में चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे का बयान काफी सोचनीय था। उनका रुख अक्रामक न होकर शांति पूर्ण था। उन्होंने कहा की भारत और चीन के बीच बॉर्डर डिस्पुट को हम लोग बात चीत करके सुलझाए लेगे। यह बयान काफी हैरत अंग्रेज था तथा चीनी सरकार का रुख बदलना भारत के लिए काफी अच्छे संकेत देता है।

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